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Bhagavad Gita Quotes in Hindi / भगवत गीता कोट्स

Bhagavad Gita Quotes - भगवत गीता को हर कोई जनता है और कहा जाता है की भगवत गीता एक ऐसी किताब है जिसके अंदर मनुष्य के सरे हल का समाधान है। भगवत गीता के ऊपर काफी साडी फिल्मे और नाटक भी बनाये गए है और बहुत सारे बड़े बड़े बिजनेसमैन भी ये सिद्द करते है की भगवत गीता के अंदर जो श्लोक लिखे गए है उसके अंदर दुनिया की हर समस्या का समाधान है। आपको बस उन श्लोक को पढ़कर अपनी जिंदगी में उतरना होता है। बहुत ऐसे बड़े बड़े व्यापारी है जो भगवत गीता को पढ़ने के लिए बोलते है जैसे की डॉ विवेक बिंद्रा, संदीप माहेश्वरी और भी काफी सारे व्यापारी।

भगवत गीता का मतलब क्या होता है?

भगवत का synonym होता है "The Song Of God" यानि की "भगवान् के गीत।" इस किताब से काफी सारे लोगो के जीवन में परिवर्तन आये है और उनको सफलता प्राप्त हुई है। श्री मद भगवत गीता आपको मोटीवेट करने का सबसे अच्छा तरीका है इसको पढ़ने से आपको संस्कृत भाषा का भी ज्ञान होता है।

इस किताब के अंदर काफी सारे विषयो के बारे में लिखा हुआ है जैसे की विश्वास, अनुशासन और मूल्य, एक अच्छे और सार्थक जीवन के संचालन के लिए केंद्रीय, लगाव, भक्ति, उद्देश्यों का संघर्ष, नैतिक कार्य और परिणाम। आप इन सबका विषयों का अध्यन कर सकते है और अपने जीवन में प्रयोग कर सकते है।

Bhagavad Gita Quotes / भगवत गीता कोट्स

आज के इस लेख में हमने Bhagavad Gita Quotes को साझा किया है जिनको पढ़कर आपको अत्यंत उत्साह और ज्ञान मिलेगा। ये किताब आपकी जिंदगी में परिवर्तन ला सकते है क्युकी ये भगवत गीता से ही लिए गए है। गीता को पढ़ना अपने आप में गर्व की बात है और आज आपको वो गर्व प्राप्त होगा।

Bhagavad Gita Quotes

आत्मा किसी काल में भी न जन्मता है और न मरता है और न यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है। आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता।

जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।

आत्मा को शास्त्र नहीं काट सकते, अग्नि नहीं जला सकती, जल नहीं गाला सकता, वायु नहीं सूखा सकती।

हे अर्जुन ! तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो, तुम क्या लाए थे जो तुमने खो दिया, तुमने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया, तुमने जो लिया यहीं से लिया, जो दिया यहीं पर दिया, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का होगा, क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है। - Bhagavad Gita Quotes

तुम खुद अपने मित्र हो और खुद ही अपने शत्रु।

जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है और मरने वाले का जन्म निश्चित है इसलिए जो अटल है अपरिहार्य है उसके विषय में तुमको शोक नहीं करना चाहिये।

जो अपने मन को नियंत्रित नहीं करते उनका मन ही उनका सबसे बड़ा शत्रु है।

जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को परखती है, उसी प्रकार संकट वीर पुरुषों को।

जीवन न तो भविष्य में है, न अतीत में है, जीवन तो बस इस पल में है। - Bhagavad Gita Quotes in Hindi

हे अर्जुन तू युद्ध भी कर और हर समय में मेरा स्मरण भी कर।

मनुष्य को परिणाम की चिंता किए बिना, लोभ- लालच बिना एवं निस्वार्थ और निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

मनुष्य अपनी वासना के अनुसार ही अगला जन्म पाता है।

क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। - Bhagavad Gita Quotes Hindi

कोई भी व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह व्यक्ति एक विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें।

यह संसार हर छड़ बदल रहा है और बदलने वाली वस्तु असत्य होती है।

मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।

मैं सभी प्राणियों को एकसमान रूप से देखता हूं, मेरे लिए ना कोई कम प्रिय है ना ही ज्यादा, लेकिन जो मनुष्य मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते है, वो मेरे भीतर रहते है और में उनके जीवन में आता हूं।

प्रत्येक कर्म को कर्त्तव्य मात्रा समझकर करना चाहिए. स्वरुप से कर्मो का त्याग करने से तो बंधन होता है पर सम्बन्ध न जोड़कर कर्त्तव्य मात्रा समझ कर कर्म करने से मुक्ति होती है। - Bhagavad Gita Quotes

मनुष्य को अपने कर्मों के संभावित परिणामों से प्राप्त होने वाली विजय या पराजय, लाभ या हानि, प्रसन्नता या दुःख इत्यादि के बारे में सोच कर चिंता से ग्रसित नहीं होना चाहिए।

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वह विश्वास करता है, वैसा वह बन जाता है।

बाहर का त्याग वास्तव में त्याग नहीं है, भीतर का त्याग ही त्याग है .हमारी कामना, ममता, आसक्ति ही बढ़ने वाले है, संसार नहीं।

कर्म के बिना फल की अभिलाषा करना, व्यक्ति की सबसे बड़ी मूर्खता है।

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है। - Bhagavad Gita Quotes

जो भी नए कर्म और उनके संस्कार बनते है वह सब केवल मनुष्य जन्म में ही बनते है ,पशु पक्षी आदि योनियों में नहीं , क्यों की वह योनियां कर्मफल भोगने के लिए ही मिलती हैं।

अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है।

हे अर्जुन ! क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।

सज्जन पुरुष अच्छे आचरण वाले सज्जन पुरुषो में , नीच पुरुष नीच लोगो में ही रहना चाहते है स्वाभाव से पैदा हुई जिसकी जैसी प्रकृति है उस प्रकृति को कोई नहीं छोड़ता।

अपकीर्ति मृत्यु से भी बुरी है।

सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है। एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ संकल्प।

मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो। - Bhagavad Gita Quotes in Hindi

दैवीय सम्प्रदा से युक्त पुरुष में भय का सर्वथा आभाव और सबके प्रति प्रेम का भाव होता है।

मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है। इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय मानव कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए।

जो होने वाला है वो होकर ही रहता है और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता . ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है उन्हें चिंता कभी नहीं सताती।

मनुष्य का मन इन्द्रियों के चक्रव्यूह के कारण भ्रमित रहता है। जो वासना, लालच, आलस्य जैसी बुरी आदतों से ग्रसित हो जाता है। इसलिए मनुष्य का अपने मन एवं आत्मा पर पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए।

सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है और न ही परलोक में। - Bhagavad Gita Quotes

अहम् भाव ही मनुष्य में भिन्नता करने वाला है ,अहम् भाव न रहने से परमात्मा के साथ भिन्नता का कोई कारण ही नहीं है।

आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो। उठो, अनुशाषित रहो।

जो लोग मन को नियंत्रित नही करते है, उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है।

मैं करता हूँ ” ऐसा भाव उत्पन्न होता है इसको ही ” अहंकार ” कहते है।

मनुष्य को अपने धर्म के अनुसार कर्म करना चाहिए।जैसे – विद्यार्थी का धर्म विद्या प्राप्त करना, सैनिक का धर्म देश की रक्षा करना आदि। जिस मानव का जो कर्तव्य है उसे वह कर्तव्य पूर्ण करना चाहिए।

नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।

साधारण मनुष्य शरीर को व्यापक मानता है , साधक परमात्मा को व्यापक मानता है जैसे शरीर और संसार एक है ऐसे ही स्वयं और परमात्मा एक है। - Bhagavad Gita Quotes Hindi

वह व्यक्ति जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और ‘में’ और ‘मेरा’ की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है, उसे अपार शांति की प्राप्ति होती है।

शास्त्र, वर्ण , आश्रम की मर्यादा के अनुसार जो काम किया जाता है वह ” कार्य ” है और शास्त्र आदि की मर्यादा से विरुद्ध जो काम किया जाता है वह ” अकार्य ” है।

मैं भूतकाल, वर्तमान और भविष्य काल के सभी जीवों को जानता हूं, लेकिन वास्तविकता में मुझे कोई नही जानता है।

धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है, उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।

जीवन न तो भविष्य में है न अतीत मैं ,जीवन तो बस इस पल मैं है।

श्रेष्ठ पुरुष को सदैव अपने पद और गरिमा के अनुरूप कार्य करने चाहिए। क्योंकि श्रेष्ठ पुरुष जैसा व्यवहार करेंगे, तो इन्हीं आदर्शों के अनुरूप सामान्य पुरुष भी वैसा ही व्यवहार करेंगे। -Bhagavad Gita Quotes

इतिहास कहता है कि कल सुख था, विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा, लेकिन धर्म कहता है, अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा।

निद्रा, भय, चिंता, दुःख, घमंड आदि दोष तो रहेंगे ही, दूर हो ही नहीं सकते ऐसा मानने वाले मनुष्य कायर है।

संसार के सयोग में जो सुख प्रतीत होता है , उसमे दुःख भी मिला रहता है .परन्तु संसार के वियोग से सुख दुःख से अखंड आनंद प्राप्त होता है।

जो मनुष्य जिस प्रकार से ईश्वर का स्मरण करता है उसी के अनुसार ईश्वर उसे फल देते हैं। कंस ने श्रीकृष्ण को सदैव मृत्यु के लिए स्मरण किया तो श्रीकृष्ण ने भी कंस को मृत्यु प्रदान की। अतः परमात्मा को उसी रूप में स्मरण करना चाहिए जिस रूप में मानव उन्हें पाना चाहता है।

कोई भी इंसान जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्मो से महान बनता है।

समय से पहले और भाग्य से अधिक कभी किसी को कुछ नही मिलता है। - Bhagavad Gita Quotes in Hindi

हे पार्थ तू फल की चिंता मत कर अपना कर्त्तव्य कर्म कर।

कर्म मुझे बांधता नहीं, क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं।

जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा, तो उसका विनाश कर पुन: धर्म की स्थापना करने हेतु, में अवश्य अवतार लेता रहूंगा।

भगवान से ही सब उत्पन्न होता है और भगवान् से ही सबकी चेष्टा हो सही है अर्थात सबके मूल में भगवान् ही है।

मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।

हे अर्जुन ! में भूतकाल, वर्तमान और भविष्यकाल के सभी जीवों को जानता हूं, लेकिन वास्तविकता में कोई मुझे नही जानता है।

मैं केवल भगवान् का हूँ और भगवान मेरे है ऐसा मानने मात्रा से भगवान् से सम्बन्ध जुड़ जाता है। - Bhagavad Gita Quotes

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।

वह व्यक्ति जो अपनी मृत्यु के समय मुझे याद करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है और इसमें कोई शंशय नही है।

भय का आभाव , अनन्तःकरण की निर्मलता , तत्ज्ञान के लिए ध्यानयोग में स्थिति , दान , गुरुजन की पूजा , पठन पाठन , अपने धर्म के पालन के लिए कष्ट सहना ये दैवीय सम्प्रदा के लक्षण है।

जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो, तुम अपना काम करते रहो।

मनुष्य संप्रदाय दो ही तरह के है एक दैवीय सम्प्रदा वाले एक आसुरी सम्प्रदा वाले।

आखिरी शब्द:

आशा करता हूँ की आपको ये Bhagavad Gita Quotes पसंद आये होंगे और आपको इनसे काफी ज्यादा सिखने को भी मिला होगा। इस लेख (Bhagavad Gita Quotes in Hindi) से मेरा उद्देश्य लोगो की जिंदगी में भगवत गीता के विचारो को पहुंचाना है इसलिए अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्त, रिस्तेदार और सोशल मीडिया पर जरूर से शेयर करे जिससे की वो भी इन Quotes को पढ़ पाए।

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