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Ahoi Ashtami Vrat Katha, Wishes, Quotes, Shayari

Ahoi Ashtami Vrat Katha: अहोई अष्टमी एक पवन पर्व है जिसको सभी घर में मनाया जाता है और अहोई अष्टमी की कहानी हर किसी को अपने बच्चो को जरूर सुनानी चाहिए लेकिन आजकल के भागदौड़ और व्यस्त रहने वाली जिंदगी में महिलाये खुद तो अहोई अष्टमी की कथा पढ़ लेती है परन्तु उनके बच्चे अपने फ़ोन और अन्य काम में व्यस्त रहते है।

Ahoi Ashtami Vrat Katha & Wishes

जीवन में भगवन का कार्य भी उतना ही आवश्यक होता है जितना की ऑफिस और अन्य कार्य होते है। अगर आप जीवन में सुखी और खुश रहना चाहते है तो आपको भगवन की पूजा में जरूर शामिल होना चाहिए। आज के इस लेख में मेने आपके लिए Ahoi Ashtami Vrat Katha और कुछ wishes लिखी है जिनको आप पढ़ सकते है और अपने सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर भी कर सकते है।

Ahoi Ashtami Vrat Katha wishes

आपकी हर डांट लगती है मुझे बड़ी प्यारी किसी ने सही ही कहा है मां के बिना खत्म हो जाती है दुनिया सारी।

अहोई-अष्टमी का दिन है कितना खास इसमें संतान के लिए, होते हैं उपवास अहोई माता का करते हुए ध्यान मनाएं अहोई का ये त्यौहार।

चन्दन की खुशबू रेशम का हार सावन की सुगंध बारिश की फुहार राधा की उम्मीद कन्हैया का प्यार मुबारक हो आपको अहोई अष्टमी का त्यौहार। 

अहोई माता का व्रत आता है हर बार माता रखें खुला हमेशा अपना द्वार और भर दें खुशियों से हमारा संसार ताकि हर साल हम मनाते रहें अहोई माता का त्योहार। - Ahoi ashtami vrat katha

मां की आंखों का तारा हूं मां के लिए बेटा प्यारा हूं क्या बताऊं इससे ज्यादा मैं मां के लिए जग सारा हूं।

अहोई माता के दरबार में हम सब आ गए हैं माता की दया से हम सब में प्यार है माता की कृपा हम सब पर बारिश की तरह बरसे जीवन में कोई किसी चीज के लिए न तरसे।

सबसे पहले माता की पूजा सब कुछ उसके बाद यही दुआ है हम सब की माता का सदा रहे आशीर्वाद शुभ अहोई अष्टमी। 

पल भर के लिए ही सही मां को याद कीजिए होगी पूरी तमन्ना जरा फरियाद तो कीजिए। - Ahoi ashtami Vrat Katha images

खुद भूखी रह जाएं पर बच्चों को खाना खिलाएं गलती करने पर प्यार से समझाएं और क्या बताऊं मां के बारे में मां की याद से ही आंखें भर आएं।

आज अहोई-अष्टमी, दिन है कितना खास जिसमें पुत्रों के लिए, होते हैं उपवास चन्दन की खुशबू रेशम का हार सावन की सुगंध बारिश की फुहार राधा की उम्मीद कन्हैया का प्यार मुबारक हो आपको अहोई अष्टमी का त्योहार। 

Ahoi Ashtami Vrat Katha / अहोई अष्टमी की व्रत कथा

Ahoi Ashtami Vrat Katha

यह व्रत करवाचौथ के चार दिन बाद मनाया जाता है। यह व्रत केवल संतान वाली महिलाएं ही रख सकती है। यह व्रत बच्चो के सुख के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से परिवारिक सुख की भी प्राप्ति होती है। इस व्रत में अहोई माँ का चित्र बना के पूजा की जाती है। 

कुछ औरते अहोई माँ के चित्र के साथ अपने बच्चे का चित्र भी बना के पूजते है। इसे करवाचौथ के समान ही महान व्रत कहते है। पूजा करने के बाद इस व्रत की कथा की जाती है। यह कथा इस प्रकार है :

प्राचीन समय की बात है की प्राचीन काल में एक शाहूकार रहता था। उसके सात बेटे और सात बहुएं थी। शाहूकार की एक बेटी भी थी जो दिवाली पे अपने ससुराल से मायके आई हुई थी। साहूकार की पत्नी घर को लीपने के लिए जंगल में मिटटी लेने गयी। 

उसके पीछे-पीछे सातों बहुए और शाहूकार की बेटी भी चली गयी| शाहूकार की बेटी भी मिटटी को खोदने लगी| जो ही उसने मिटटी को खुरपे के साथ खोदना शुरू किया वः खुरपा स्याहु (साही) के बच्चे को लग गया| क्यों की जहां शाहूकार की बेटी ने मिटटी को खोदा था वहा स्याहो अपने साथ बच्चो के साथ रहती थी। 

जिनमे से एक बच्चा शाहूकार के बेटी के खुरपा लगने की वजह से मर गया। बच्चे के मरने पर शाहूकार की बेटी को बहुत दुःख हुआ।  स्याहो को गुस्सा आ गया और उसने शाहूकार की बेटी को शाप दे दिया। उसने कोख बांधने का श्राप दे दिया। उसने कहा की तुमने मेरे बच्चे को मारा है तुम्हे भी दुःख भोगना पड़ेगा। 

परन्तु जो कुछ होना था वो हो चूका था। यह भूल तो उससे अनजाने में हुई थी| दुखी मन से वह घर लौट आई। पश्चाताप के कारण वह मिटटी भी नहीं लाई।  जब वह घर आती है तो शाहूकार की पुत्री का पुत्र और शाहूकार के भी सातों पुत्र मर जाते है। 

इस प्रकार की घटना देख सेठ-सेठानी अत्यंत शोकाकुल हो उठे। इन दोनों ने किसी तीर्थ स्थान पे जाकर अपने प्राणो का विसर्जन कर देने का मन में संकल्प कर लिया। ऐसा निष्ठा कर के सेठ-सेठानी पैदल ही घर से चल पड़े। 

चलते-चलते उनका शरीर पूर्ण रूप से अशक्त हो गया लेकिन फिर भी वह आगे-आगे बढ़ते गए। थोड़ी ही दूर जा के वह पूर्ण रूप से थक गए| उनके चलने की शक्ति अब ख़त्म हो गयी। सेठ और सेठानी रस्ते में ही मुर्शित हो कर गिर पड़े। उन दोनों की इस दयनीय दिशा को देख कर भगवान करुणानिधि दयालु हो गए। 

उनको सेठ और सेठानी पे दया आ गयी। भगवान करुणानिधि ने भविष्यबाणी की कि तुम्हारी पुत्री से मिटटी खोदते समय सेही का बच्चा अनजाने में मारा गया था। जब मिटटी को खोदा गया तो तू भी अपनी पुत्री के पास थी। जिन कारण तुम दोनों को अपने बच्चो का कष्ट सहना पड़ा। 

इस लिए अब आप दुखी न होकर अपने घर जाओ। भगवान ने आज्ञा दी है कि तुम घर जा कर गऊ माता कि सेवा करो और अहोई माता कि अहोई अष्टमी आने तक पूजा करो| सभी जीवो पर दया करो। दया भाव रखो। किसी को अहित ना करो।

यदि तुम मेरे कहे अनुसार आचरण करोगे तो तुम्हे संतान सुख प्राप्त हो जायगा|इस आकाशवाणी को सुनकर सेठ और सेठानी को कुछ धैर्य हुआ।और वह भगति का स्मरण करते हुए अपने घर चले गए। यह आकाशवाणी के अनुसार वह सारे कार्य करने लगे। 

उन्होंने पूरी श्रदा के साथ अहोई माता कि पूजा कि जब अहोई अस्टमी आई तो उन्होंने विधि के साथ व्रत रखा और अहोई माँ उनसे बहुत प्रस्न हुई और उनको पुत्र होने का आशीर्वाद दे दिया।  इसके बाद उसे सात पुत्रो कि प्राप्ति हुई। तब से लेकर अभी तक यह परम्परा यह प्रथा चली आ रही है। 

आखिरी शब्द:

आशा करता हूँ की आपको यह Ahoi Ashtami Vrat Katha पसंद आये होंगे जहाँ हमने आपके लिए Ahoi Ashtami Vrat Katha & Wishes साझा किये है जिनको आप पढ़ सकते हो और सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों और स्टेटस के माध्यम से शेयर कर सकते है।

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