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Barish Shayari | बारिश वाली शायरी

Barish Shayari - बारिश हर किसी को पसंद है चाहे वो बड़ा हो या फिर बच्चा या फिर कोई जवान। ऐसा कोई भी नहीं है दुनिया में जिसको बारिश पसंद नहीं हो लेकिन लोगो को बारिश से नफरत जब होती है तब कोई नुक्सान होता है जैसे की बाद या फिर किशन की खेती बर्बाद हो जाना जो की सदियों से होता आ रहा है लेकिन आम लोगो को हमेशा से बारिश अच्छी लगी है।

जब भी बारिश आती है तो वो चाय के साथ पकोड़े लेकर बालकनी में कुर्सी और मेज डालकर खाने का मजा ही कुछ और होता है और शर्मा जी जब खुद बारिश में भीगने निकलते है तो आनंद और भी दुगना हो जाता है। बारिश में नहाते वक्त ऐसा लगता है की मनो बारिश की बुंदे आपसे अंग से बाते कर रहे हो। हर एक बून्द का अपना एक एहसास होता है। बच्चे भी बारिश में बहु झूमते है और हाथों से पानी के साथ खेलते है।

Barish Shayari

आज के इस लेख में हमने इसी आनंद से भरी बारिश के ऊपर shayari साझा की है जिनको आप पढ़ सकते हो और अपने सोशल मीडिया के माध्यम से देश भर में बता सकते है की आप बारिश का आनंद किस प्रकार ले रहे है। तो फिर इस आनंद को बरकरार रखते है और भड़ते है सीधे Barish Shayari की ओर।

Barish Shayari

ख़ुद को इतना भी न बचाया कर,
बारिशें हुआ करे तो भीग जाया कर।

न जाने क्यू अभी आपकी याद आ गयी, 
मौसम क्या बदला बरसात भी आ गयी,
मैंने छुकर देखा बूंदों को तो, हर बूंद में 
आपकी तस्वीर नज़र आ गयी ।

तेरे प्रेम की बारिश हो,
मैं जलमग्न हो जाऊं,
तुम घटा बन चली आओ,
मैं बादल बन जाऊं।

मुझे ऐसा ही जिन्दगी का
हर एक पल चाहिए
प्यार से भरी बारिश और
संग तुम चाहिए !!

जब भी होगी पहली बारिश, तुमको सामने पायेंगे,
वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पायेंगे।

कुछ नशा तेरी बात का है,
कुछ नशा धीमी बरसात का है,
हमे तुम यूँही पागल मत समझो,
यह दिल पर असर पहली मुलाकात का है।

ग़म-ए-बारिशे इसीलिए नहीं कि तुम चले गए,
बल्कि इसलिए कि हम ख़ुद को भूल गए।

पहले बारिश होती थी तो याद आते थे,,
अब जब याद आते हो तो बारिश होती है।

हैरत से ताकता है सहरा बारिश के नज़राने को,
कितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को।

ये ही एक फर्क है तेरे और मेरे 
शहर की बारिश में, तेरे यहाँ ‘जाम’ 
लगता है, मेरे यहाँ ‘जाम’ लगते हैं।
Barish Shayari

कितना कुछ धुल गया आज इस बारिश में,
हाँ तुम्हारी यादों के पन्ने भी धुल गए इस बारिश में।

उनके मिलन से महक उठी थी फ़िज़ाएँ,
सौंधी खुशबू ने बारिश की थी ना मिट्टी की।

मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल,
वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का।

आशिक तो आँखों की बात समझ लेते हैं,
सपनो में मिल जाये तो मुलाकात समझ लेते हैं,
रोता तो आसमान भी है अपने बिछड़े प्यार के लिए,
पर लोग उसे बरसात समझ लेते हैं।

ये मौसम भी क्या रंग लाया है,
साथ हवा और घटाएं लाया है,
मिट्टी की खुशबू फैलाये सावन आया है,
दिल को ठंडक देने बरसात का महीना आया है।

कितना कुछ धुल गया आज इस बारिश में,
हाँ तुम्हारी यादों के पन्ने भी धुल गए इस बारिश में।

तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
Barish Wali Shayari

बारिश के पानी को अपने हाथों में समेट लो,
जितना आप समेट पाये उतना आप हमें चाहते है,
और जितना न समेट पाए उतना हम आप को चाहते है।

ये इश्क़ का मौसम अजीब है जनाब,
इस बारिश में कई रिश्ते धुल जाते है,
बेगानों से करते है मोहब्बत कुछ लोग,
और अपनों के ही आंसू भूल जाते है।

मौसम हे बारिश का और याद तुम्हारी आती हे,
बारिश के हर कतरे से सिर्फ तुम्हारी आवाज़ आती हे।

वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में,
मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।

मोहब्बत तो वो बारिश है जिससे 
छूने की चाहत मैं ! हथेलियां तो गीली 
हो जाती है पर हाथ खाली ही रह जाते है।

वो बारिश की बूंदों को बाहें फैला कर समेट लेता है,
वो जानता है कि हर बूंद उसकी ही तरह तन्हा है।

नैनों से अब बारिश होती है,
मेरी पलकों के कोनों से नींद रोती है मेरी।

रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे,
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ मैं।

मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल,
वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का।

बारिश सुहानी और मोहब्बत पुरानी,
जब भी मिलती है नई सी लगती है।

हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती है,
कभी बादल बरसते है कभी आँखे बरसती है। 
Barish Ke Upar Shayari

एक तो ये रात, उफ़ ये बरसात,
इक तो साथ नही तेरा, उफ़ ये दर्द बेहिसाब
कितनी अजीब सी है बात,
मेरे ही बस में नही मेरे ये हालात।

इस बरसात में हम भीग जायेंगे,
दिल में तमन्ना के फूल खिल जायेंगे,
अगर दिल करे मिलने को तो याद,
 करना बरसात बनकर बरस जायेंगे।

बादलों को गुरुर था कि वो उच्चाई पे है,
जब बारिश हुई तो उसे ज़मीन की मिट्टी ही रास आयी।

जरा ठहरो की बारिश हे, यह थम जाये तो फिर जाना,
किसी का तुम को छू लेना, मुझे अच्छा नहीं लगता।

बरस जाये यहाँ भी कुछ नूर की बारिशें,
के ईमान के शीशों पे बड़ी गर्द जमी है,
उस तस्वीर को भी कर दे ताज़ा,
जिनकी याद हमारे दिल में धुंधली सी पड़ी है।

अगर भीगने का इतना ही शौक है, 
बारिश मे तो देखो ना मेरी आँखों मे, 
बारिश तो हर एक के लिए होती है,
 लेकिन ये आँखें सिर्फ तुम्हारे लिए बरसती है।

हर दफ़ा बारिश उसका पैग़ाम लेकर आती है,
और मेरे बंजर से दिल को हरा भरा कर जाती है।

तेरे इंतजार का मजा ही कुछ और है,
अरे उसके आगे तो तेरे इस मौसम का मजा भी कमजोर है।

कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना,
मौसम बारिस का भी है और मोहब्बत का भी।

आज बादल काले घने हैं,
आज चाँद पे लाखों पहरे हैं,
कुछ टुकड़े तुम्हारी यादों के,
बड़ी देर से दिल में ठहरे हैं।

बारिश की बूंदों सा ये दिल गिरता बरसता है,
तुम पास होते हो मगर फिर भी तरसता रहता है।
Barish Shayari

कह दो बादलों से कुछ पानी मेरी आँखों से उधार ले जाये।

बारिश में चलने से एक बात याद आती है,
फिसलने के डर से वो मेरा हाथ थाम लेता था।

कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते,
अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है।

बादल बड़े चुप-चुप से लगते हैं,
नाराज़ ख़ुद से लगते हैं,
आज पानी कहीँ से भी नहीँ बरसा,
यह भी कुछ-कुछ मुझ से लगते हैं।

कुछ तो चाहत होगी इन बूंदों की भी,
वरना कौन छूता है इस जमीन को उस आसमान से टूटकर।

बारिशों से अदब-ए-मोहब्बत सीखो फ़राज़,
अगर ये रूठ भी जाएँ, तो बरसती बहुत हैं।

मेरे ख्यालों में वही सपनो में वही,
लेकिन उनकी यादों में हम थे ही नहीं,
हम जागते रहे दुनियां सोती रही,
एक बारिश ही थी जो हमारे साथ रोती रही।

फ़ासले ख़्वाइशों से ज़िन्दगी ने इतने कर डाले हैं,
बारिश की बूंदे औऱ हमनें खिड़की से हाथ निकाले हैं।

ख्वाहिशें तो थी तेरे संग बारिश में भीगने की,
पर ग़मों के बादल कभी छाते ही नहीं।

पूछते थे ना कितना प्यार है तुम्हे हमसे,
लो अब गिन लो... बारिश की ये बूँदें।
Barish Wali Shayari

उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं,
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई। 

ये बारिश अपने साथ साथ तुम्हारी यादो की बौछार लाई है,
तनहाई के इस आलम में खुशियां बेशुमार लाई है।

कोई रंग नहीं होता बारिश के पानी में,
फिर भी फ़िज़ा को रंगीन बना देता है।

हैरत से ताकता है सहरा बारिश के नज़राने को,
कितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को।

मौसम चल रहा है इश्क का साहिब,
जरा सम्भल कर के रहियेगा।

बादलों को आता देख के मुस्कुरा लिया होगा, 
कुछ न कुछ मस्ती में गुनगुना लिया होगा,
ऊपर वाले का शुक्र अदा किया बारिश के,
होने से, के इस बहाने तुमने नहा लिया होगा।

मदमस्त बूँदों को गिरते देखा,
बादल का हाल बताते हैं,
तड़पन में अपनी बन के बारिश,
वो धरा से मिलने आते हैं।

बारिशों में बेवजह भी भीग जाना चाहिए,
मेरे अजीज यारो हर मौसम का लुत्फ उठाना चाहिए।

रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,
बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है.
क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारो,
अपने तो हैं मगर अपनापन गायब है।
Barish Shayari

ए बारिश कहीं और जाके बरसा कर,
मेरा दिल बहुत कमजोर है,
बात बात पर रोया करता है।

बारिश की बूंदो में झलकती है उसकी तस्वीर,
आज फिर भीग बैठे उसे पाने की चाहत मे।

आखिरी शब्द:

आशा करता हूँ की आपको यह Barish Shayari पसंद आयी होंगी जहाँ हमने आपके लिए सबसे अच्छी Barish Shayari Hindi में साझा की है। अगर आपको यह शायरी पसंद आयी हो तो इन्हें अपने सोशल मीडिया पर जरूर से शेयर करना और आप बारिश को कैसे enjoy कर रहे हो उस लम्हे को भी तस्वीर में कैद कीजियेगा। जीवन का असली आनंद छोटी छोटी खुशियों में ही है और आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में कहा किसी के पास इतना वक्त है की वो जिंदगी के 2 पल अपनी मर्जी से जी सके इसलिए हो सके तो इस बारिश खुल के enjoy करियेगा।

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